Stok market शेयर बाजार में क्या होगा 4 जून को ?

Stok market शेयर बाजार में क्या होगा 4 जून को ?

Stok market फाइल फोटो शेयर मार्केट
Stok market फाइल फोटो शेयर मार्केट

Stok market आम चुनावों का सेंसेक्स-निफ्टी पर क्या असर पड़ा पूर्व में ?  समझें आंकड़ों से

 

Stok market यह देश के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देते हैं। भारत में आम चुनाव शेयर बाजार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। शेयर बाजार और देश की अर्थव्यवस्था पर आम चुनावों का गहरा असर पड़ता है। लोकसभा चुनाव देश के शासन और नीतिगत निर्णयों की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए जानें पिछले कुछ आम चुनावों के पहले, चुनावों के दौरान और चुनावों के बाद बाजार की क्या स्थिति रही।

 

 

Stok market 4 जून को नतीजे आएंगे। शेयर बाजार पर इन नतीजों का क्या असर पड़ेगा इसे लेकर भी अटकलें जारी हैं। देश में जारी लोकसभा चुनाव अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने की राह पर है। इसके साथ ही उन्होंने शेयर बाजार को लेकर भी बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा की जीत से देश के शेयर बाजार में भी रिकॉर्ड छलांग दिखेगी। पीएम मोदी ने कहा, “मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 4 जून को भाजपा के रिकॉर्ड आंकड़े छूने के साथ ही शेयर बाजार भी नई रिकॉर्ड ऊंचाई को छू जाएगा।” पिछले पांच वर्षों में सेंसेक्स 35,696.19 अंकों यानी 89.88% मजबूत होकर 75,410.39 अंकों पर पहुंच गया है। वहीं निफ्टी 11,034.30 अंक यानी 92.55% उछलकर 22,957.10 पर पहुंच गया है। बीते दिनों भारतीय बाजार ने पांच ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप की उपलब्धि हासिल कर ली। बाजार पहले ही ऑल टाइम हाई पर है। ऐसे में पीएम मोदी का दावा बहुत मायने रखता है।

 

 

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Stok market निवेशक आम चुनावों के परिणामों की बारीकी से निगरानी करते हैं

 

Stok market लोकसभा चुनाव भारत के शासन और नीतिगत निर्णयों की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में आम चुनाव शेयर बाजार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। यह देश के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देते हैं। शेयर बाजार और देश की अर्थव्यवस्था पर आम चुनावों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार नियामक नियमों, मौद्रिक नीतियों, राजकोषीय नीतियों, सरकारी खर्च आदि पर निर्णय लेती है, ये निर्णय देश की दशा और दिशा तय करते हैं। इन फैसलों का कारोबार पर और शेयर बाजार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। शेयर बाजार के निवेशक चुनावी प्रक्रिया और उसके परिणामों की बारीकी से निगरानी करते हैं। इसलिए, देश की राजनीति और शेयर बाजार के बीच के प्रदर्शन के बीच संबंधों को समझना जरूरी और साथ ही दिलचस्प भी है।

 

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Stok market तय की बाजार की चाल 2019 में भाजपा सरकार के इस फैसले ने

Stok market  घरेलू कंपनियों के लिए कर की दर पहले के 30% से घटाकर 22% कर दिया गया। नई विनिर्माण कंपनियों के लिए यह दर 25% से घटाकर 15% कर दी गई थी। 2019 के आम चुनावों में भाजपा की अगुवाई में एनडीए ने निर्णायक जीत हासिल की थी। चुनाव के बाद सितंबर 2019 में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स की दरें घटाने का निर्णय लिया। सरकार की ओर से कॉरपोरेट टैक्स दरों को कम करने के इस निर्णय ने कारोबार जगत और शेयर बाजार के लिए संजीवनी का काम किया। इसका बाजार पर तत्काल प्रभाव पड़ा सेंसेक्स और निफ्टी ने उस दौरान नई ऊंचाइयों की ओर छलांग मारी। सरकार के इस फैसले के बाद अलग-अलग सेक्टर के शेयरों में मजबूती आई। विशेष रूप से विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और बैंकिंग क्षेत्र क्षेत्रों के शेयरों ने इस फैसले से बढ़त हासिल की थी। सेंसेक्स और निफ्टी पिछले पांच वर्षों में लगभग 90% तक उछले हैं।

Stok market 2008 में यूपीए सरकार के इस फैसले का बाजार को मिला लाभ

Stok market 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सरकार ने घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। 2019 से एक दशक पहले भी कुछ ऐसा ही हुआ था तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में, सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने, कुछ उद्योगों के लिए कर कटौती और व्यवसायों के लिए बढ़ी हुई ऋण उपलब्धता की शुरुआत की थी। इस राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज के एलान के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल दिखा था। 2009 के आम चुनावों के बाद बाजार में सकारात्मक माहौल बना था।

Stok market आम चुनावों और शेयर बाजार पर इसके असर का रहा है इतिहास

वर्षों से, भारत में आम चुनाव शेयर बाजार में बढ़ती अस्थिरता से जुड़े रहे हैं। ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैँ कि चुनावी मौसम में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है। यह उतार-चढ़ाव इस बार के चुनाव में भी दिख रहा है। बाजार का यह उतार-चढ़ाव उन हफ्तों के दौरान उफान पर होता है जब मतदान हो रहे होते हैं। चुनाव परिणामों की अनिश्चितता के कारण निवेशकों की जो प्रतिक्रिया आती है, वह बाजार पर असर डालती है।

Stok market फाइल फोटो शेयर मार्केट
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